मऊ समाचार
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Read Moreमऊ जिले के बारे में
पूर्वी उत्तर प्रदेश का सुप्रसिद्ध एवं औद्योगिक दृष्टि से समुन्नत जनपद मऊ का इतिहास काफी पुराना है। रामायण एवं महाभारत कालीन सांस्कृतिक एवं पुरातत्विक अवशेष इस भू-भाग में यत्र-तत्र मिलते हैं। यद्यपि इस दिशा में वैज्ञानिक ढंग से शोध एवं उत्खनन के प्रयास नहीं किये गये ह, लेकिन भौगोलिक एवं ऐतिहासिक साक्ष्यों तथा किवंदतियों के आधार पर इसकी पुष्टि होती है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में महाराज दशरथ के शासनकाल में इस स्थान पर ऋषियों की तपोभूमि थी। इसी तमसा तट पर आदि कवि महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था। यह तो निर्विवाद है कि वन यात्रा के समय प्रथम रात्रि तमसा तट पर श्री रामचन्द्र जी ने विश्राम किया था। मऊ का ज्ञात अभिलेखीय इतिहास लगभग 1500 वर्ष पुराना है, जब यह समूचा इलाका घोर घना जंगल था। यहाँ बहने वाली नदी के आस-पास जंगली व आदिवासी जातियाँ निवास करती थीं। यहाँ के सबसे पुराने निवासी नट माने जाते है। इस इलाके पर उन्हीं का शासन भी था।
एक नज़र में
- क्षेत्र: 1,535 वर्ग किमी.
- आबादी: 2,205,170
- भाषा: हिंदी, भोजपुरी
- गाँव: 1,691
- पुरुष: 11,14,888
- महिला: 10,90,282
हेल्पलाइन नंबर
- मुख्यमंत्री हेल्पलाइन: 1076
- नागरिक सेवा केंद्र: 155300
- बाल हेल्पलाइन: 1098
- महिला हेल्पलाइन: 1091
- अपराध रोक थाम: -1090
- यू पी पुलिस हेल्पलाइन: 100
जिलाधिकारी मऊ
- जिलाधिकारी
- श्री प्रवीण मिश्र, आई0ए0एस0